
आ पहुंचे हैं अपनी मंजिल तक
आ पहुंचे हैं अपनी मंजिल तक
इन खूबसूरत वादियों तक
वो सफर एक सपना सा था
ये मंजर पूरी हुई दुआ सा लग रहा है।।
खोने की ख्वाहिश लिए पहुंच तो गए हम
पर इन वादियों में बस डूब जाने को जी करता है।।
तुम भी हो मेरे साथ
मैं भी हूं तुम्हारे साथ
लेकिन फिर क्यों कुछ देर और अकेले रहने को जी करता है।।
ये मंजर नहीं हकीकत बन जाए
ये कुछ दिन नहीं पूरी जिंदगी बन जाए
आए तो हैं कुछ दिन के मेहमान बन कर
काश पूरी जिंदगी
बस यूं ही
और यही कट जाए।।
खुश भी हूं पर फिर उदास भी
इस पल में सुकून भी है
पर फिर यहां से जाने को मन उदास भी
सुबह की पहली चाय तुम्हारे साथ बातें याद दिलाती हैं
अकेले होने का एहसास भी नहीं और
फिर पूरी दुनिया को अपने सामने पाती हूं
तुम्हें देखते हुए यह पल जैसे थम सा गया हो
सुबह से शाम का एक समय ढल सा गया हो
वक्त क्या है शायद यहां होकर समझ पाई हूं
हर एक पल को बस यादों में समेट पाई हूं
आए तो हैं कुछ दिन के मेहमान बन कर
काश पूरी जिंदगी
बस यूं ही
और यही कट जाए।।
Shivani Rana
Shivani is a HR by profession & as a mountain girl traveling and writing makes her feel more alive and connected to the hills.